Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - परदेस में दिन

                      !! परदेस में दिन !!



अब तो मायका भी परदेस जैसा लगता है,
जहां आने की खुशी से, 
वापस जाने का गम ज्यादा होता है,
वक्त मिलता ही कहां है, 
बस छुट्टियों का इंतजार रहता है,

धीरे धीरे गुजरता वक्त, वापिसी की याद दिलाता है,
जी भर कर जी लेने का, समय ही कहां होता है,
बचपन की अटखेलियां, अब कहां नसीब होती हैं,
अब तो पति के खाने और कपड़ों की ही चिंता लगी रहती है,

मायके में रहते हुए भी, ससुराल की चिंता लगी रहती है,
नाज़ नखरे दिखाने वाली, अब कुछ शांत सी रहती है,
दो चार फुरसत के पलों को जी लेने का ख्वाब संजोए रहती है,
मायके में बचपन बिताने वाली, अब यहां परदेसी सा महसूस करती है।।


प्रियंका वर्मा
23/6/22

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7 Comments

Punam verma

24-Jun-2022 11:13 AM

Nice

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Shrishti pandey

24-Jun-2022 10:54 AM

Nice

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Abhinav ji

24-Jun-2022 07:48 AM

Very nice👍

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